31 December 2016

909 मोहब्बत इश्क़ क़ीमत ज़रूरी शायरी


909
उसको भी हमसे मोहब्बत हो...
ज़रूरी तो नहीं,
इश्क़ ही इश्क़की क़ीमत हो...
ज़रूरी तो नहीं !

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