25 December 2016

880 समझ पता सपने नींद शायरी


880

सपने, Dreams

मैं समझा,
यहाँ सब अपने थे,
जब नींदसे जागा तो पता चला...
सारे सपने थे...

I thought,
Everyone here was mine,
When I woke up from sleep I came to know...
All were dreams...

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