23 December 2016

872 दुनियाँ महफ़िल थक आवाज़ अक्सर अकेले शायरी


872

आवाज़, Bawl

कभी थक जाओ तुम,
दुनियाँकी महफ़िलोंसे,
हमें आवाज़ दे देना,
हम अक्सर अकेले होते हैं . . . ।

Sometimes you get tired,
From the gatherings of the world,
Give a bawl,
I am often alone. . . 

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