27 December 2016

895 मोहब्बत चाहत दिल्लगी अक्सर तोल तराजू टूट शायरी


895

दिल्लगी, Pleasantry

ना तोल मेरी मोहब्बत,
अपनी दिल्लगीसे,
देखकर मेरी चाहतको,
अक्सर तराजू टूट जाते हैं...!

Don't weigh my love,
With your pleasantry,
Seeing my desires,
Scales often break...!

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