15 December 2016

846 ज़िंदगी गुज़र वजूद आईना सामने नज़र वक़्त शायरी


846

वजूद, Existence

मेरे वजूदमें काश तू उतार जाए,
मैं देखूँ आईना और तू नज़र आए,
तू हो सामने और वक़्त ठहर जाए,
ये ज़िंदगी तुझे यूँ ही देखते हुए गुज़र जाए

I wish you would come into my existence,
I look in the mirror and you are visible,
You are in front and time stops,
May this life pass just looking at you...

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