30 December 2016

906 ज़िन्दगी मोहब्बत शौक ख़ुदकुशी यार शायरी


906
शौक-ए-ख़ुदकुशी हैं,
ये भी यारों...
थक गए जो ज़िन्दगीसे,
वो मोहब्बत कर बैठे...!

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