14 December 2016

843 समेट नाजुक पल लम्हे शामिल शायरी


843
समेट लो इन नाजुक पलोंको,
जाने ये म्हें कल हो हो...
हो भी ये लम्हें क्या मालुम,
शामिल उन पलोंमें हम हो हो

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