22 December 2016

866 इश्क फूल बिखर खामोशी महके बहार शायरी


866

बहार, Springs

इश्क़में हमने वहीं किया,
जो फूल करते हैं बहारोंमें;
खामोशीसे खिले... महके,
और फिर बिखर गए।

I did the same thing in Love,
The flowers that bloom in springs;
Bloomed silently...Smelled,
And then Scattered.

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