12 December 2016

831 बेगुनाह छुप छप राज़ शायरी


831

Begunaah, Innocent

बेगुनाह कोई नहीं,
सबके राज़ होते हैं...
किसीके छुप जाते हैं,
किसीके छप जाते हैं…!!!

Nobody is Innocent,
Everybody has a Secret...
Other's get Hidden,
Someone's get Printed...

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