15 December 2016

848 आशियाँ दीदार सूरत साया शायरी


848

दीदार, Glance

निकलते हैं तेरे आशियाँके आगेसे,
सोचते हैं की तेरा दीदार हो जायेगा l
खिड़कीसे तेरी सूरत न सही...
तेरा साया तो नजर आएगा ll

I roam in front of your house,
In the hope of your glance.
If not the your visible face through the window...
At least your shadow will be visible.

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