31 December 2016

910 इश्क़ इनकार इक़रार लज़्जत शायरी


910

लज़्जत. Relish

इनकार जैसी लज़्जत…
इक़रार में कहां...
बढता हैं इश्क़...
उसकी ना-ना से. . .

Denial like relish…
Is where in acceptance...
Love grows...
Because of her No No. . .

No comments:

Post a Comment