14 December 2016

838 आँखें गुलाब बहार ख्बाब शबाब शायरी


838

Khwaab, Dream

जाने कभी गुलाब लगती हैं,
जाने कभी शबाब लगती हैं,
तेरी आँखें ही हमें,
बहारोंका ख्बाब लगती हैं

Ever you seems A Rose,
Ever you seems Adolescence,
Your Eyes only,
Seems like Bliss of Dreams .


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