30 December 2016

907 दिल टूट क़ब्र संवार जिन्दा शायरी


907
फिर नहीं बसते वो दिल,
जो एक बार टूट जाएं ...
क़ब्रें कितना ही संवारों,
कोई जिन्दा नहीं होता ll

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