14 February 2017

965


खतों से मीलों सफर करते थे
जज़्बात कभी...
अब घंटों बातें करके भी
दिल नहीं मिलते…

964


हिम्मत इतनी थी कि
समुन्दर भी पार कर सकते थे,
मजबूर इतने हुए कि
दो बूँद आँसुओं ने डुबो दिया…

963


 "बनाने वाले ने दिल काँच का बनाया होता,
तोड़ने वाले के हाथ मे जखम तो आया होता…
जब बी देखता वो अपने हाथों को,
उसे हमारा ख़याल तो आया होता…"

962


"उनकी तस्वीर को सिने से लगा लेते हैं,
इस तरह जुदाई का गम मिटा देते हैं,
किसी तरह कभी उनका जिक्र हो जाये तो,
भींगी पलकों को हम झुका लेते हैं."

961


“दीवाने है तेरे नाम के
इस बात से इंकार नहीं
कैसे कहे कि तुमसे प्यार नहीं
कुछ तो कसूर है आपकी आखों का
हम अकेले तो गुनहगार नहीं ”

11 February 2017

960


रात हुई जब शाम के बाद,
तेरी याद आई हर बात के बाद,
हमने खामोश रहकर भी देखा,
तेरी आवाज़ आई हर सांस के बाद !

959


शाम होते ही
चराग़ों को बुझा देता हूँ…
दिल ही काफ़ी है
तेरी याद में जलने के लिए !

958


शक ना कर मेरी मुहब्बत पर पगली.......
अगर मै सबूत देने पर आया तो .....
तु बदनाम हो जायेगी...!!!

957


हमने लिया सिर्फ होंठोंसे
जो तेरा नाम…
दिल होंठो से उलझ पड़ा
कि ये सिर्फ मेरा है !

956


वादे  पे  वो  ऐतबार  नहीं करते
हम  जिक्र  मोहब्बत  सरे  बाजार  नहीं  करते
डरता है  दिल  उनकी  रुसवाई  से
और  वो  सोचते  हैं  हम  उनसे  प्यार  नहीं  करते ।।

10 February 2017

955


लोग मुझ से मेरी,
उदासी की वजह पूंछते है फ़राज़।
इजाजत हो तो...
तेरा नाम बात दूँ.......

954


वाकिफ है वो मेरी,
हर कमजोरी से फ़राज़।
वो रो देती है...
और मैं हार जाता हूँ.......

953


टूटे हुए दिल मे रहने की,
कोशिश ना कर फ़राज़।
क्योंकी सूखे हुए पेड़ पर तो,
परिन्दे भी बसेरा नही करते.......

952


जो उड़ गए परिंदे,
उनका मलाल क्या करूँ फ़राज़। 
यहां तो पाले हुए भी,
ग़ैरों के छतों पर उतरते है.......

951


अब क्या फायदा,
बारिशों के बरसने का फ़राज़,
वो शख्स ही पास नही,
जो सीने से लगता था...
बिजलियों की डर से II

9 February 2017

950


उससे कह दो मेरी सज़ा
कुछ कम् करदे फ़राज़।
मैं पेशेवर मुज़रिम नही हूँ.......
गलती से इश्क़ हुआ है ll

949


कितना खुबसुरत है
उसका मेरा रिश्ता...
उसने कभी बांधा
हमने कभी छोड़ा.....

948


अपने हर लफ्ज़ में
कहर रखते हैं हम,
रहें खामोश फिर भी
असर रखते हैं हम...!

947


जी चुके हैं उन के लिये
जो मेरे लिये सब कुछ थे...
अब जीना है उनके लिये,
जिनके लिये मैं सब कुछ हूँ...

946


"जिंदगी तुझसे हर कदम पर
समझौता क्यों किया जाए,
शौक जीने का है मगर
इतना भी नहीं के मर मर कर जिया जाए..."