9 February 2017

950 कम सज़ा पेशेवर मुज़रिम गलती इश्क़ शायरी


950
उससे कह दो मेरी सज़ा,
कुछ कम करदे फ़राज़।
मैं पेशेवर मुज़रिम नहीं हूँ......
गलतीसे इश्क़ हुआ हैं ll

No comments:

Post a Comment