8 February 2017

940 दुनियाँ जनाब सोच ख्वाब शायरी


940
जो इस दुनियाँमें नहीं मिलते ,
वो फिर किस दुनियाँमें मिलेंगे जनाब...
बस यही सोचकर रबने एक दुनियाँ बनायी ,
जिसे कहते हैं ख्वाब...!!!

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