6 February 2017

935 मुस्कुरा आँखें बात दर्द बयाँ शायरी


935
कभी मुस्कुराती आँखें भी,
कर देती हैं कई दर्द बयाँ,
हर बात रोकर बताना ही,
जरूरी नहीं होता…

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