9 February 2017

942 जिन्दगी जख्म जुबां खामोश आँख नमी दस्तान शायरी


943
जुबां खामोशआँखोंमें नमी होगी,
यहीं बस मेरी दस्तान--जिन्दगी होगी...
भरनेको तो हर जख्मभर जाऐगा,
कैसे भरेगी वो जगह हां तेरी कमी होगी...

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