8 February 2017

937 आँखें बातें अजनबी शायरी हैं हीं हां में मैं पें याँ आँ हूँ हाँ हें


937
आँखें भिगोने लगी हैं,
अब तेरी बातें...!
काश तुम अजनबी ही रहते...
तो अच्छा था...!

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