6 February 2017

931आसानी ज़िद मुकद्दर ख्वाहिश शायरी


932
मिल सके आसानीसे ,
उसकी ख्वाहिश किसे हैं ?
ज़िद तो उसकी हैं...
जो मुकद्दरमें लिखा ही नहीं...

No comments:

Post a Comment