17 February 2017

985 दिल मुहब्बत आलम जरूरत साँस शायरी


985
ये दिल ही तो जानता हैं,
मेरी पाक मुहब्बतका आलम फ़राज़।
के मुझे जीनेके लिए साँसोंकी नहीं, 
तेरी जरूरत हैं......

984 सोच टूट चाह शायरी


984
सोचा था की  वो बहुत,
टूटकर चाहेगा हमे फ़राज़...
लेकिन चाहा भी हमने,
और टूटे भी हम......

983 बेशक खूबसूरत चेहरे मुस्कान शायरी


953
बेशक वो खूबसूरत,
आज भी हैं फ़राज़।
पर चेहरेपर वो मुस्कान नहीं,
जो हम लाया करते थे......

982 मोहब्बत सफर किफाय दाम आँसू बिक शायरी


982
तेरी मोहब्बतका सफर,
ऐसा लग रहा हैं फ़राज़।
जैसे किफायती दामपर
आँसू बिक रहे हो......

980 तोहमते हसीन इल्ज़ाम नाम शायरी


980
तोहमते तो लगती रहीं,
रोज नयी नयी हम पर फ़राज़।
मगर जो सबसे हसीन इल्ज़ाम था…
वो तेरा नाम था......

981 सूरज चौखट खैरात उजाले शायरी


981
जिनको सूरज मेरी चौखटपें,
मिला करता था फ़राज़।
वो आज देते हैं,
खैरातमें उजाले मुझको......

979 अक्सर हैरत शायरी


979
अक्सर वो कहते हैं,
वो बस मेरे हैं फ़राज़।
अक्सर क्यों कहते हैं...
हैरत होती हैं......

978 हसीन होठ नजर चुम गुस्ताख पर्दे शायरी


978
अपने हसीन होठोंको,
किसी पर्देमें छिपा लिया करो फ़राज़।
हम गुस्ताख लोग हैं,
नजरोंसे चुम लिया करते हैं......

977 मोहोब्बत काश बेसब्री तसल्ली शायरी


977
काश वो आकर कहें,
किसी दिन मोहोब्बतसे फ़राज़।
ये बेसब्री कैसी...
तेरी ही हूँ मैं तसल्ली रख......

976 भुला वक़्त सब्र कदर रुह शायरी


976
भुला देंगे तुझे,
जरा तो सब्र कर फ़राज़।
बसे हो इस कदर रुहमें,
कुछ तो वक़्त लगेगा......

15 February 2017

975 जिक्र महफ़िल नाम ग़ैर लब शायरी


975
जिक्र तेरा हुआ तो,
हम महफ़िल छोड़ आये फ़राज़।
हमे ग़ैरोंके लबपें...
तेरा नाम अच्छा नहीं लगता......

974 दिल बुरा बाज़ार मकान दिन शायरी


974
ये दिल बुरा ही सही,
सरे बाज़ार तो ना कहो फ़राज़।
आखिर तुमने इस मकानमें...
कुछ दिन गुजारे भी थे......

973 हजार दुआ माँग खुशनसीब शायरी


973
हजार दुआओंमें माँगकर भी,
वो हमारी ना हो सकी फ़राज़।
खुशनसीबने बिना मांगे ही,
उन्हें अपना बना लिया......

972 दिल गलत सुन इश्क़ आँख पलके शायरी


972
गलत सुना था की,
इश्क़ आँखोंसे होता हैं फ़राज़।
दिल तो वो भी ले जाते हैं...
जो पलके तक नहीं उठाते......

971 मुहब्बत अजीब कश्मकश धड़कन संभल जान शायरी


971
अजीब कश्मकशसी होती हैं,
मुहब्बतमें फ़राज़।
धड़कने संभलती नहीं
और जान निकलती नहीं......

14 February 2017

970 दिल चाह जुदा नाता टूटे जोड़े शायरी


970
दिलसे चाहने वाला कभी जुदा नहीं होता,
जो होता हैं वो अपना नहीं होता,
किसी टूटे हुए तो नाता जोड़ो,
जो टूटे हुए दिल जोड़े...
उससे बड़ा खुदा नहीं होता l

969 महबूब खुदा कबूल शायरी


उसने महबूब ही तो बदला है,
फिर ताज्जुब कैसा …
दुआ कबूल ना हो तो लोग,
खुदा तक बदल लेते है !!!

968


खूबसूरत "चेहरे"
तो बहुत देखे इस दुनिया में मगर....
खूबसूरत "दिल"
तलाशने में उमर गुजर गयी...!!

967


खिल भी सकते है
ये मसले कुचले हुए फूल.....
शर्त यह है की
सीने से लगाना होगा ।।

966


दिल तो आज भी
सस्ते है साहब ...
दौलत तो जिस्मों
पर खर्च होती है…