1 April 2017

1175 दिल दर्द नुमाईश बयाँ लोग टूट लफ्ज दास्तान समझ शायरी


1175
कर अपने दर्द--दिलकी,
नुमाईश शायरीमें बयाँ, फ़राज़।
लोग और टूट जाते हैं,
हर लफ्जको अपनी दास्तान समझकर.......

1174 रियाज सुबह शाम सच बोल अदा अजीज यार छिन शायरी


1174
झूठ बोलनेका रियाज,
करता हूँ मैं सुबह शाम, फ़राज़।
सच बोलनेकी अदाने,
हमसे कई अजीज यार छिन लिए.......

1173 दिल बिछड़ रूह बात शायरी


1173
बिछड़ना हैं तो यूँ करो,
रूहसे निकल जाओ, फ़राज़ l
रही बात दिलकी,
तो उसे हम देख लेंगे......ll

1172 आँख आँसू भुला छोड़ शायरी


1172
अब तेरी आँखोंमें,
ये आँसू किसलिए फ़राज़।
जब छोड़ ही दिया था,
तो भुला भी दिया होता.......

1171 सुन बदला बात आजमा लब चूम शायरी


1171
सुना हैं तुम ले लेते हो,
बदला हर बातका फ़राज़।
आजमाएंगे कभी,
तेरे लबोंको चूमके........

31 March 2017

1170 जीने यादें शायरी


1170
बस जीने ही तो,
नहीं देगी, फ़राज़।
और क्या कर लेगी,
तेरी यादें.......

1169 दिल मतलब दिलासे दिमाग घूम शायरी


1169
बिना मतलबके दिलासे भी,
नहीं मिलते यहाँ मोहसिन।
लोग दिल में भी,
दिमाग लिए घूमते हैं.......

1168 साँस टूट आम बात बदल मौत शायरी


1168
साँसोंका टूट जाना तो,
आम बात हैं, मोहसिन।
जहाँ अपने बदल जाये,
उसे तो मौत कहते हैं.......

1167 साँस टूट आम बात बदल मौत शायरी


1167
सीनेपें तीर खाके भी,
अगर कोई मुस्करा दे, मोहसिन।
निशाना लाख अच्छा हो,
मगर बेकार हो जाता हैं.......

1166 ख्वाहिश दुआ गुनाह कायनात शायरी


1166
तेरी ख्वाहिश कर ली तो,
कौनसा गुनाह कर लिया, मोहसिन।
लोग तो दुआओंमें,
पूरी कायनात माँग लिया करते हैं …….!

30 March 2017

1165 चाँद किरदार दाग पास रोशनी बाँट शायरी


1165
चलो चाँदका किरदार,
अपना लेते हैं फ़राज़।
दाग अपने पास रखके,
रोशनी बाँट देते हैं…….

1164 दिल समंदर सुन गहरा समाया सिवा शायरी


1164
सुना हैं दिल समंदरसे भी,
गहरा होता हैं, फ़राज़।
फिर क्यूँ नहीं समाया,
कोई और उसके सिवा.......

1162 जानता शख्स मुस्करा उदास शायरी


1162
कितना कुछ जानता होगा,
वो शख्स मेरे बारेमें, फ़राज़।
मेरे मुस्करानेपर भी जिसने पूछ लिया,
की तुम उदास क्यूँ हो.......

1163 जरूरत यकीन पास कहने शायरी


1163
अगर तुम्हे यकीन नहीं,
तो कहनेको कुछ नहीं मेरे पास, फ़राज़।
अगर तुम्हे यकीन हैं,
तो मुझे कुछ कहनेकी जरूरत ही नहीं.......

1161 मौत कह नाराजगी ख़त्म बहुत बदल जिया शायरी


1161
अब मौतसे कह दो,
हमसे नाराजगी ख़त्म भी करें, फ़राज़।
वो बहुत बदल गए हैं,
जिनके लिए हम जिया करते थे.......

29 March 2017

1160 ज़ख़्म इलाज कुरेदकर देख कह वक़्त शायरी


1160
करता हैं वो मेरे,
ज़ख़्मोंका इलाज, फ़राज़।
कुरेदकर देख लेता हैं रोज,
और कहता हैं वक़्त लगेगा . . . . . . .

1159 ख्वाब देख पूछ बेखबर यादें सोने शायरी


1159
वो मुझसे पूछती हैं,
ख्वाब किस किसके देखते हो, फ़राज़ l
बेखबर जानती ही नही,
यादें उसकी सोने कहाँ देती हैं. . . . . . .ll

1158 दिल जान मुहब्बत आलम साँस जरूरत जीने शायरी


1158
ये दिल ही तो जानता हैं,
मेरी पाक मुहब्बतका आलम, फ़राज़।
के मुझे जीनेके लिए,
साँसोंकी नहीं तेरी जरूरत हैं . . . . . . .

1157 हुस्न पर्दे जरूरत शायरी


1157
तेरे हुस्नको,
पर्देकी जरूरत ही क्या हैं, फ़राज़।
कौन रहता हैं होशमें,
तुझे देखनेके बाद . . . . . . .

1156 दीदार काबिल इनायत नजर रुख इधर शायरी


1156
दीदारके काबिल,
कहाँ मेरी नजर हैं, फ़राज़।
ये तेरी इनायत हैं की,
रुख तेरा इधर हैं......