26 May 2017

1353 ज़िन्दगी माँग दिया सिवा शायरी


1353
मैने ज़िन्दगीसे कुछ नहीं माँगा,
“तेरे सिवा” और . . . . . . .
ज़िन्दगीने मुझे सब कुछ दिया,
“तेरे सिवा'......

1352 दुनियाँ आँख महबूब आखिरी वसीयत दफन शायरी


1352
दुनियाँवालो,
मेरी आखिरी वसीयत सुनलो,
मुझे मेरे महबूबकी,
आँखोंमें दफन होना हैं...!

1351 दिल सोच अपने शायरी


1351
दिल सोचता हैं तो फिर,
सोचता ही रह जाता हैं,
ये जो अपने होते हैं वो...
अपने क्यूँ नहीं होते ?

25 May 2017

1349 हिम्मत दर्द सहने थक शायरी


1349
हममें तो हिम्मत हैं,
दर्द सहनेकी...
तुम इतना दर्द देते हो,
कहीं थक तो नहीं जाते...?

1350 दुनियाँ कदर मशरूफ दिन मेहमान बुरा शायरी


1350
इस कदर हो गयी,
मशरूफ दुनियाँ...
एक दिन ठहरे तो,
मेहमान बुरा लगता हैं...

1348 साथ रास्ते बदल दूर वादा ख़ातिर शायरी


1348
तुम तो कुछ दूर भी,
साथ ना चले वादा करके...!
और हमने रास्ते बदल लिए,
तुम्हारे साथकी ख़ातिर...!!!

1347 जुदाई बर्बाद तल्ख़ लहज़े हज़ार शायरी


1347
जब मैने कहां तुम्हारी जुदाई,
बर्बाद कर देगी मुझे......
तो उसने बड़े तल्ख़ लहज़ेमें कहां,
बर्बाद हज़ारों हैं,
एक तुमभी सहीं......!

1346 इंतजार टूटा हसते पत्थर शायरी


1346
लोग इंतजार करते रहें,
कि हमें टूटा हुआ देखें,
और हम थे कि,
हसते-हसतेपत्थरके हो गए. . .

24 May 2017

1345 गाल खातिर बिखर जमीन शायरी


1345
तेरे गालोमें लगनेके खातिर,
गिर गया जमीनपर...
हाँ, होलीका वहीं,
बिखरा हुआ गुलाल हूँ मैं…

1344


अजीब सी बस्ती में
ठिकाना है मेरा,

जहाँ लोग मिलते कम,
झांकते ज़्यादा है...!

1343


जिंदगी में अपनापन तो
हर कोई दिखाता है…
पर अपना हैं कौन ?

यह वक़्त ही बताता है…

1342


हम दिल के सच्चे ज़ज़्बात लिखते है ,

अपनी नहीं सबके मन की बात लिखते है...!!

1341


जब वो अपने हांथो की लकीरों में,
मेरा नाम ढूंढ कर थक गयी...
"तो सिर झुकाकर बोली...
लकीरें तो झूठ बोलती है...

तुम सिर्फ मेरे हो…....

23 May 2017

1340 सजदे दुआएँ हमदम खुशी जिंदगी शायरी


1340
मेरे सजदेकी दुआएँ,
तुम क्या जानो हमदम…
सर झुका तो तेरी खुशी माँगी,
हाथ उठे तो तेरी जिंदगी . . .

1339 बात फितरत खता याद शायरी


1339
कुछ तो बात हैं
तेरी फितरतमें ऐ यार;
वरना तुझको याद करनेकी
खता हम बार-बार न करते !

1338 क़द्र तनहाई दिल्लगी शायरी


1338
हमारी "क़द्र" होगी उन्हें,
"तनहाईयों" में...
अभी तो बहुत लोग हैं,
उनके पास दिल्लगीके लिए...!!!

1337 क़द्र तनहाई दिल्लगी शायरी


1337
सभी पुराने ठौर ठिकाने,
टोक रहे हैं आते - जाते,
मैं भी खुश हूँ, तुम भी खुश हो ,
काश के "हम" भी खुश हो पाते.....!

1336 जिंदगी खत्म बाद याद शायरी


1336
लो खत्म कर रहें हैं जिंदगी,
तेरे जानेके बाद l
पर तुम याद तो आओगे ही मुझे,
मर जानेके बाद…ll

22 May 2017

1335 यार बाजार गम शायरी


1335
ये आप कहाँ घूमते हो यार...
ये तो बस गमका हैं बाजार...

1334 तक़दीर सिलसिला वक़्त गुजार शायरी


1334
अपनी तक़दीरमें तो कुछ,
ऐसा ही सिलसिला लिखा हैं,
किसीने वक़्त गुजारनेके लिए अपना बनाया,
तो किसीने अपना बनाकर,
वक़्त गुज़ार लिया.......