24 May 2017

1345 गाल खातिर बिखर जमीन शायरी


1345
तेरे गालोमें लगनेके खातिर,
गिर गया जमीनपर...
हाँ, होलीका वहीं,
बिखरा हुआ गुलाल हूँ मैं…

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