12 May 2017

1310 दिल अजीबसा मंजर नज़र आँसूं समंदर शीशे हाथ पत्थर शायरी


1310
एक अजीबसा मंजर नज़र आता हैं,
हर एक आँसूं समंदर नज़र आता हैं,
कहाँ रखूं मैं शीशेसा दिल अपना,
हर किसीके हाथमें पत्थर नज़र आता हैं…

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