8 May 2017

1298 हमसफ़र दोस्त मोहब्बत समझौते शायरी


1298
क्या हुआ जो हमसफ़र ना बन सके,
दोस्त ही सहीं,
ये मोहब्बत भी ना जाने...
कितने समझौते करवाती हैं. . .

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