2 May 2017

1275 दीवार कच्चे मकान लोग आँगन रास्ते शायरी


1275
ए बुरे वक्त,
जरा आदबसे पेश आ...
वक्त ही कितना लगता हैं ,
वक्त बदलनेमें !

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