20 May 2017

1323 दर्द हाथ गम आँसू रौशनी जला दुआ शायरी


1323
दर्दसे हाथ न मिलाते,
तो और क्या करते,
गमके आँसू न बहते,
तो और क्या करते,
उसने माँगी थी हमसे,
रौशनीकी दुआ,
हम खुदको न जलाते,
तो और क्या करते . . . !

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