3 May 2017

1283 - 1284


तु इस कदर मुझे,
अपने करीब लगता है ।
तुझे अलग से जो सोचूं तो,
अजीब लगता है . . . ।

परवीन शाकिर

ज़ाने क़ितनी अनक़हीं बातें,
क़ितनी हसरतें साथ ले ज़ाएंग़े...
लोग़ झूठ क़हते हैं क़ि,
ख़ाली हाथ आये थे,
ख़ाली हाथ ज़ाएंग़े......

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