9 May 2017

1301 रुठुंगी कदर आँखे झलक तरस शायरी


1301
रुठुंगी अगर तुजसे,
तो इस कदर रुठुंगी की...
ये तेरी आँखे मेरी एक,
झलकको तरसेंगी !

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