2 May 2017

1272 कोशिश हस्ती रूतबा तिनका शायरी


1272
कभी इनका हुआ हूँ मैं,
कभी उनका हुआ हूँ मैं,
खुदके लिए कोशिश नहीं की,
मगर सबका हुआ हूँ मैं…
मेरी हस्ती बहुत छोटी,
मेरा रूतबा नहीं कुछ भी,
लेकिन डूबतेके लिए सदा,
तिनका हुआ हू मैं 

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