12 September 2023

9986 - 9990 मीठी बातें शायरी

 

9986
यूँ गुमसुम मत बैठो,
परायेसे लगते हो...
मीठी बातें नहीं क़रना हैं,
तो चलो झगड़ा हीं क़र लो...!

9987
अक़्सर सूख़ें हुये होठोंसे ही,
होती हैं मीठी बातें...
प्यास बुझ ज़ाए तो,
अल्फाज़ और इंसान,
दोनों बदल ज़ाया क़रते हैं...

9988
मिठाईयाँ तो,
मीठी हीं बनती हैं...
मिठास रिश्तोंक़ी बढ़े तो,
क़ोई बात बने......!!!

9989
मीठी-मीठी बातें तो,
हमें भी आती हैं लेक़िन...
वो तहज़ीब नहीं सीख़ी,
ज़िससे क़िसीक़ा दिल दुख़े...

9990
क़्या बताऊँ उनक़ी बातें,
क़ितनी मीठी हैं...
सामने बैठक़े,
फीक़ी चाय पीते रहते हैं......

11 September 2023

9981 - 9985 ख़्याल गम रूठ ज़िक्र फ़िक्र बातें शायरी

 
9981
ज़ाओ फ़िरसे,
मेरे ख़्यालोमें क़ुछ बातें क़रतें हैं...
क़ल ज़हाँ ख़तम हुई थी,
वहींसे शुरुआत क़रते हैं......!

9982
गम इस बातक़ा नहीं क़ि.
तुम बेवफा निक़ली ;
मगर अफ़सोस ये हैं क़ि,
वो सब लोग सच निक़ले,
ज़िनसे मैं तेरे लिए लड़ा क़रता था ll

9983
क़्यूँ ख़ेलते हैं,
वो हमसे मोहब्बतक़ा ख़ेल...
बात बातमें रूठ वो ज़ाते हैं,
और टूटक़र बिख़र हम ज़ाते हैं...

9984
इंतिहाई हसीन लग़ती हैं,
ज़ब वो क़रती हैं रूठक़र बातें...
आसिम वास्ती

9985
क़ुछ इस तरह वो मेरी,
बातोंक़ा ज़िक्र क़िया क़रती हैं...
सुना हैं वो आज़ भी,
मेरी फ़िक्र क़िया क़रती हैं......!

10 September 2023

9976 - 9980 होठ दरिया बेहद लम्हा ख़ेल इश्क़ मुख़्तलिफ़ माहिर रुस्वाई शराबी उसने उनसे उसक़ी बातें शायरी


9976
बेहद बुरा होता हैं,
वो दौर--लम्हा...
उसीसे उसक़ी बातें,
क़ह सक़ो......

9977
उनसे क़ुछ यूँ भी,
होती हैं हमारी बातें...
ना वो बोलते हैं,
हम बोलते हैं......!

9978
ख़ेल और इश्क़,
दोनों मुख़्तलिफ़सी बातें हैं...
एक़में तुम माहिर,
एक़में मैं माहिर......!

9979
क़ैसे क़ह दूँ क़ि,
मुझे छोड़ दिया हैं उसने...
बात तो सच हैं मगर,
बात हैं रुस्वाईक़ी......
परवीन शाक़िर

9980
उसने होठोंसे छूक़र दरियाक़ा,
पानी गुलाबी क़र दिया ll
हमारी तो बात और थी,
उसने मछलियोंक़ोभी,
शराबी क़र दिया......!!!

9 September 2023

9971 - 9975 तुम तुमक़ो तुझे तेरी बात शायरी

 
9971
आँख़ें भिगोने लगी हैं,
अब तेरी बातें...
क़ाश तुम अज़नबी हीं रहते,
तो अच्छा होता......!

9972
पागल नहीं थे हम,
ज़ो तेरी हर बात मानते थे l
बस तेरी ख़ुशीसे ज़्यादा,
क़ुछ अच्छा हीं नहीं लगता था ll

9973
क़हा क़रो हर बार,
क़ी हम छोड़ देंगे तुमक़ो...
हम इतने आम हैं,
ये तेरे बसक़ी बात हैं...!!!

9974
ये बात क़िसने उड़ाई क़ी,
मुझे इश्क़ हैं तुमसे...
हाँ तुमक़ो यकीं आये तो,
अफवाह नहीं हैं ये......!!!

9975
तुझे छोड़ दूँ तुझे भूल ज़ाऊँ,
क़ैसी बातें क़रते हो...
सूरत तो सूरत हैं,
मुझे तो तेरे नामक़े लोग भी अच्छे लगते हैं !!!

8 September 2023

9966 - 9970 ज़िंदग़ी ख़ुशी एतराज़ ग़म ज़फ़ा ज़िक्र ज़माने रूठा तुम तुम्हारी बात शायरी


9966
तुमने भेजे थे क़भी,
ज़ो वो मैं जैसे पढ़ लेता हूँ अब,
ऐसा लगता हैं क़ी,
तुमसे बातें हो ज़ाती हैं...!

9967
ज़फ़ाक़े ज़िक्रपें,
तुम क़्यूँ सँभलक़े बैठ गए...
तुम्हारी बात नहीं,
बात हैं ज़मानेक़ी.......
मज़रूह सुल्तानपुरी

9968
दोनोंहीं बातोंसे,
एतराज़ हैं मुझक़ो...
क़्यूँ तुम ज़िंदग़ीमें आये,
और क़्यूँ चले ग़ये.......?

9969
ख़ुशीक़ी बात और हैं,
ग़मोंक़ी बात और...
तुम्हारी बात और हैं,
हमारी बात और.....
अनवर ताबाँ

9970
हम ना होंगे,
तो तुम्हें मनाएगा क़ौन...?
यूँ बात-बातपर,
रूठा ना क़रो......!

7 September 2023

9961 - 9965 इश्क़ ज़िन्दगी मौसम सुहाने शाम रोना बारिश उम्मीद संभल क़दम बेवज़ह याद बात शायरी

 
9961
क़हने क़ो तो,
इस शहरमें क़ुछ नहीं बदला...
पर ये बातभी उतनी ही सही हैं,
मौसम अब उतने सुहाने नहीं बनते...

9962
यूँ तो हर शाम,
उम्मीदोंमें गुज़र ज़ाती थी...
आज़ क़ुछ बात हैं,
ज़ो शामपें रोना आया...

9963
ढलती शाम और,
भागती ज़िन्दगीक़े बीच,
ये तुमसे बेवज़हक़ी बातें,
सुनो यहीं इश्क़ हैं......!!!

9964
बारिशमें चलनेसे,
एक़ बात याद आई...
इंसान ज़ितना संभलके क़दम,
बारिशमें रखता हैं l
उतना संभल क़र ज़िन्दगीमें,
रखे तो गलती क़ी,
गुन्ज़ाईश ही न हो ll

9965
बारिशमें चलनेसे,
एक़ बात याद आती हैं...
फ़िसलनेके डरसे,
वो हाथ थाम लेता था...!!!

6 September 2023

9956 - 9960 बज़्म परवाना आख़िरी डर परवाना बज़्म बात शायरी

 
9956
क़रती हैं बार बार फोन,
वो ये क़हनेक़े लिए...
क़ी ज़ाओ,
मुझे तुमसे बात नहीं क़रनी......!

9957
क़्या मिला अर्ज़-ए-मुद्दआसे फ़िगार,
बात क़हनेसे और बात गई...
फ़िगार उन्नावी

9958
वो ज़ो क़हते थे,
तू ना मिला तो मर ज़ाएँगे...
वो अब भी ज़िंदा हैं,
यही बात क़िसी औरसे क़हनेक़े लिए...

9959
ऐ शम्अ' अहल-ए-बज़्म तो,
बैठे हीं रह ग़ए...
क़हनेक़ी थी ज़ो बात,
वो परवाना क़ह ग़या......
साहिर सियालक़ोटी

9960
वो आज़ मुझसे,
क़ोई बात क़हने वाली हैं...
मैं डर रहा हूँ क़े ये बात,
आख़िरी हो......

5 September 2023

9951 - 9955 छोटी बड़ी अच्छी प्यारी बातोंक़ी शायरी

 
9951
प्यारी और अच्छी बातें,
हमेशा समझोता क़रना सीख़ो ;
क़्यूँक़ि थोडा सा झुक़ ज़ाना,
क़िसी रिश्तेक़ा हमेशाक़े लिए,
टूट ज़ानेसे बेहतर हैं......

9952
क़ैसे क़ह दूँ क़ि,
बदलेमें क़ुछ नहीं मिला...!
सबक़ भी क़ोई,
छोटी बात नहीं होती......!!

9953
यूँ हीं छोटीसी बातपर,
ताल्लुक़ात बिग़ड़ ज़ाते हैं...
मुद्दा होता हैं 'सहीं क़्या हैं',
और लोग़ 'सही क़ौन' पर उलझ ज़ाते हैं...

9954
हर बार मुक़द्दरक़ो,
क़ुसुरवार क़हना अच्छी बात नहीं...
क़भी क़भी हम उन्हें भी माँग लेते हैं,
ज़ो क़िसी और क़े होते हैं...

9955
बेहतरीन इंसान अपनी,
मीठी ज़ुबानसे हीं ज़ाना ज़ाता हैं...
वरना अच्छी बातें तो,
दीवारोंपर भी लिख़ी होती हैं......!

4 September 2023

9946- 9950 ज़िन्दगी तजुर्बा औक़ात ग़ुस्सा फ़िक़र क़िनारा छोटी बड़ी बातोंक़ी शायरी

 
9946
बहुत छोटी हैं,
मेरे ख़्वाहिशोंक़ी बात...
पहली भी तुम और,
आख़री भी तुम......

9947
ज़िन्दगीक़ा तजुर्बा तो नहीं
पर इतना मालूम हैं,
छोटा आदमी बड़े मौक़ेपर
क़ाम ज़ाता हैं ;
और बड़ा आदमी छोटीसी बातपर
औक़ात दिख़ा ज़ाता हैं !

9948
ज़ो हमारी छोटी छोटी बातोंपर,
ग़ुस्सा क़रते हैं...
बस वहीं हमारी सबसे ज़्यादा,
फ़िक़र क़रते हैं......

9949
नदी ज़ब क़िनारा छोड़ती हैं,
तो राहमें चट्टान तक़ तोड़ देती हैं...l
बात छोटीसी अगर चुभ ज़ाये दिलमें,
ज़िन्दगीक़े रास्तोंक़ो भी मोड़ देती हैं...ll

9950
ज़ब छोटे थे तब,
बड़ी बड़ी बातोमें बह ग़ए...
और ज़ब बड़े हुए तब,
छोटी-छोटी बातोमें बिख़र ग़ए......

3 September 2023

9941 - 9945 क़रीब रास्ते बर्दाश्त गुरूर परेशान मंज़िल क़दर पास दूर बातोंक़ी शायरी

 
9941
बस इतने क़रीब रहो,
क़ी बात हो फ़िर भी,
दूरी लग़े......

9942
तुम दूर हो मुझसे,
मैं परेशान नहीं होती...
पर क़िसी औरक़े इतना पास हो,
बात तो यह बर्दाश्त नहीं होती......

9943
मंज़िल पाना तो,
बहुत दूरक़ी बात हैं ;
गुरूरमें रहोगे तो,
रास्ते भी देख़ पाओगे ll

9944
मेरे पास क़ितनी बातें हैं,
उनक़े पास सिर्फ़ 'हम्म' हैं...

9945
तू मिरे पास ज़ब नहीं होता,
तुझसे क़रता हूँ,
क़िस क़दर बातें......
                           आसिम वास्ती

1 September 2023

9936 - 9940 नशा एहसास ग़ज़ब बातोंक़ी शायरी

 
9936
हुनर क़्या ग़ज़बक़ा था,
उसक़ी प्यारी बातोंमें...
उसने क़ाग़ज़पर बारिश लिख़ा,
और हम यहाँ भीग़ ग़ए.......!

9937
क़भी क़भी लिख़ी हुई बातोंक़ो,
हर क़ोई नहीं समझ सक़ता ;
क़्योंक़ि उसमें एहसास लिख़ा होता हैं,
और लोग़ सिर्फ़ अल्फ़ाज़ पढ लेते हैं !

9938
मीठा सा नशा था,
उसक़ी बातोंमें भी...
वक़्त ग़ुज़रता ग़या,
और हम आदी हो ग़ये...

9939
क़िसीक़ो मोहब्बत यादोंसे,
क़िसीक़ो मोहब्बत ख़्वाबोंसे,
क़िसीक़ो मोहब्बत चेहरेसे,
एक़ हमारा नादानसा दिल,
ज़िसे मोहब्बत पक़ी बातोंसे ll

9940
रिश्ते मनसे बनते हैं,
बातोंसे नहीं...
क़ुछ लोग़ बहुतसी बातोंक़े,
बाद भी अपने नहीं होते...
और क़ुछ शांत रहक़रभी,
अपने बन ज़ाते हैं.......!