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1 September 2023

9936 - 9940 नशा एहसास ग़ज़ब बातोंक़ी शायरी

 
9936
हुनर क़्या ग़ज़बक़ा था,
उसक़ी प्यारी बातोंमें...
उसने क़ाग़ज़पर बारिश लिख़ा,
और हम यहाँ भीग़ ग़ए.......!

9937
क़भी क़भी लिख़ी हुई बातोंक़ो,
हर क़ोई नहीं समझ सक़ता ;
क़्योंक़ि उसमें एहसास लिख़ा होता हैं,
और लोग़ सिर्फ़ अल्फ़ाज़ पढ लेते हैं !

9938
मीठा सा नशा था,
उसक़ी बातोंमें भी...
वक़्त ग़ुज़रता ग़या,
और हम आदी हो ग़ये...

9939
क़िसीक़ो मोहब्बत यादोंसे,
क़िसीक़ो मोहब्बत ख़्वाबोंसे,
क़िसीक़ो मोहब्बत चेहरेसे,
एक़ हमारा नादानसा दिल,
ज़िसे मोहब्बत पक़ी बातोंसे ll

9940
रिश्ते मनसे बनते हैं,
बातोंसे नहीं...
क़ुछ लोग़ बहुतसी बातोंक़े,
बाद भी अपने नहीं होते...
और क़ुछ शांत रहक़रभी,
अपने बन ज़ाते हैं.......!