Showing posts with label इज़हार मोहब्बत ख़्वाहिश बेचैनी शिक़वा इल्ज़ाम चाँदनी तक़दीर बेताबी शायरी. Show all posts
Showing posts with label इज़हार मोहब्बत ख़्वाहिश बेचैनी शिक़वा इल्ज़ाम चाँदनी तक़दीर बेताबी शायरी. Show all posts

13 December 2021

7956 - 7960 इज़हार मोहब्बत ख़्वाहिश बेचैनी शिक़वा इल्ज़ाम चाँदनी तक़दीर बेताबी शायरी

 

7956
हैं सौ तरीक़े और भी,
बे-क़रार दिल...
इज़हार--शिक़वा,
शिक़वेक़े अंदाज़में हो...
                      मंज़र लख़नवी

7957
शबेग़ोर...
वो बेताबी--शब हाय फ़िराक़,
आज़ आरामसे सोना,
मेरी तक़दीरमें था...

7958
रातक़ी 
चाँदनीमें,
बेरंग हर बात थी ;
मुझे मोहब्बतक़ी,
ख़्वाहिश थी और...
उन्हें दूर ज़ानेक़ी,
बेताबी थी.......

7959
दिलक़ी बेताबी,
बयाँ होने लग़ी...
क़्या छुपाया हैं,
लबे-ख़ामोशमें...

7960
ऐसे ही मैं भी तड़प उठा था,
तेरी पलक़ोंक़ो क़िसी ग़ैरक़ी...
पलकोंक़े क़रीब देख़क़े,
मेरी बेताबी मेरी बेचैनीक़ो...
तुमने तब क़्यूँ नहीं समझा,
फ़िर इल्ज़ाम क़्यूँ.......