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4 July 2019

4451 - 4455 इश्क़ वफ़ा वक़्त साथ ज़ालिम शर्त दवा तमन्नाआशिक दर्द शायरी


4451
"कर लेता हूँ बर्दाश्त,
हर दर्द इसी आसके साथ...
की खुदा नूर भी बरसाता हैं,
आज़माइशोंके बाद......."

4452
शिकवा करें भी तो किससे करें...
ये दर्द भी मेरा और
देने वाला भी मेरा...!

4453
इश्क़ सभीको जीना सीखा देता हैं,
वफ़ाके नामपर मरना सीखा देता हैं;
इश्क़ नही किया तो करके देखो,
ज़ालिम हर दर्द सहना सीखा देता हैं...

4454
दर्द बेचना हैं...
लेकिन एक शर्त हैं की,
खरीदार भी मुझ जैसा,
आशिक हो.......!

4455
हर दर्दकी दवा हो तुम...
आज तक जो मांगी,
मेरी एक लौटी दुआ हो तुम...
तुम्हे मिलनेकी तमन्ना,
नहीं उठती कभी,
क्यूंकि जो हर वक़्त साथ रहती हैं,
वो हवा हो तुम.......