Showing posts with label चूल्हा तड़प सुबह हौसला डर नाम बिछड इंतजार आँख नूर धडकन रात शायरी. Show all posts
Showing posts with label चूल्हा तड़प सुबह हौसला डर नाम बिछड इंतजार आँख नूर धडकन रात शायरी. Show all posts

14 February 2019

3916 - 3920 चूल्हा तड़प सुबह हौसला डर नाम बिछड इंतजार आँख नूर धडकन रात शायरी


3916
ठण्डा चूल्हा देखकर,
रात गुजारी उस गरीबने;
कमबख्त आग थी की,
पेटमें रात भर जलती रही...!

3917
गुजर जायेगी ये रात भी,
तड़पकर आखिर...
वो याद नहीं करेंगे तो,
क्या मेरी सुबह नहीं होगी...!

3918
"मत डर अंधेरोंसे,
रातके मुसाफिर...
रख हौसला की फिर,
एक नई सुबह होगी...!"

3919
कुछ इस तरह से होती हैं,
मायूस ये हर शाम...
तुमसे बिछडना अब,
नही सहा जाता सरेआम...
रात गुजरती हैं सुबह होती हैं,
बस लेके तेरा ही नाम...
खुदा खैर करे और लिख दे तुम्हे,
सिर्फ मेरे ही नाम.......
भाग्यश्री

3920
रातभर आँखोंको आपका इंतजार रहा,
धडकने बढती गयी के अब तू हैं रहा...
बस रात बढने लगी और आँखोंका नूर घटता रहा,
सुरजकी किरणे आयी पर कंबख्त तू तो आनेसे ही रहा...।
                                                                           भाग्यश्री