2921
जिंदगीकी राहोमें,
रंज और गमके मेले हैं !
भिड हैं कयामतकी,
फिर भी हम अकेले हैं !!!
2922
मंजिल मिल ही जायेगी,
भटकनेपर ही सही ।
गुमराह तो वो लोग हैं,
जो कभी घरसे निकले ही नहीं...!
2923
मुझे मालूम था...
कि वो रास्ते कभी,
मेरी मंजिलतक नहीं जाते थे,
फिर भी मैं चलता रहा...
क्यु की उस राहमें,
कुछ अपनोंके घर भी आते थे...।
2924
सचको तमीज़ ही नहीं,
बात करनेकी;
झूठको देखो,
कितना मीठा बोलता हैं.......
2925
आँसू बिना आँखे,
इतनी खूबसूरत नहीं होती,
गम बिना खुशीकी,
कोई किमत नहीं होती।
अगर मिल जाती हर चीज चाहनेसे,
तो दुनियामें दुआओकी,
जरुरत नहीं होती।