25 June 2018

2921 - 2925 जिंदगी दुनिया राह गम कयामत मंजिल गुम रास्ते तमीज़ बात झूठ मीठा आँसू आँखे शायरी


2921
जिंदगीकी राहोमें,
रंज और गमके मेले हैं !
भिड हैं कयामतकी,
फिर भी हम अकेले हैं !!!

2922
मंजिल मिल ही जायेगी,
भटकनेपर ही सही 
गुमराह तो वो लोग हैं,
जो कभी घरसे निकले ही हीं...!

2923
मुझे मालूम था...
कि वो रास्ते कभी,
मेरी मंजिलतक नहीं जाते थे,
फिर भी मैं चलता रहा...
क्यु की उस राहमें,
कुछ अपनोंके घर भी आते थे...।

2924
सचको तमीज़ ही नहीं,
बात करनेकी;
झूठको देखो,
कितना मीठा बोलता हैं.......

2925
आँसू बिना आँखे,
इतनी खूबसूरत नहीं होती,
गम बिना खुशीकी,
कोई किमत हीं होती।
अगर मिल जाती हर चीज चाहनेसे,
तो दुनियामें दुआओकी,
जरुरत नहीं होती।

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