6 June 2018

2841 - 2845 प्यार मोहब्बत विश्वास शिकायत ऐतबार यकीन उम्मीद तड़प इंतज़ार लफ़्ज़ क़िरदार शायरी


2841
शिकायतें वहां होती हैं,
जहां ऐतबार ना हो,
मेरा तो यकीन ही तुम हो,
तो शिकायत कैसी...

2842
प्यार और विश्वासको,
हो सके तो कभी ना खोयें;
क्योंकि प्यार हर किसीसे होता नहीं और
विश्वास हर किसीपें होता नहीं...

2843
ना कोई उम्मीद, ना तड़प,
ना ही इंतज़ार किसीका,
कितना अच्छा होगा वो जहाँ...
जहाँ मोहब्बत नहीं होगी !!!

2844
मेरे लफ़्ज़ोंसे कर,
मेरे क़िरदारका फ़ैसला।
तेरा वज़ूद मिट जायेगा,
मेरी हकीक़त ढूंढ़ते ढूंढ़ते।।

2845
फिजाओंसे उलझकर,
एक हसीं यह राज़ जाना हैं !
जिसे कहतें हैं मोहब्बत,
वह नशा ही कातिलाना हैं...!

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