2931
खामोशीसे बिखरना
आ गया हैं,
हमें अब खुद
उजड़ना आ गया हैं l
किसीको बेवफा
कहते नहीं हम,
हमें भी अब
बदलना आ गया
हैं l
किसीकी यादमें रोते नहीं
हम,
हमें चुपचाप जलना आ
गया हैं l
गुलाबोंको तुम अपने
पास ही रखो,
हमें कांटोंपें चलना
आ गया हैं...!
2932
हमने भी कभी
प्यार किया था,
थोड़ा नहीं बेशुमार
किया था;
दिल टूटकर
रह गया,
जब उसने कहा,
अरे मैने तो
मज़ाक किया था...
2933
ज्यादा देर यूँ
एक जगह नहीं
रूकता हूँ मैं,
बंजारोंका कभी कोई
ठिकाना हुआ हैं क्या;
दीवानोंकी बातें भला
कोई समझे तो
कैसे,
दीवानोंका कभी कोई
दीवाना हुआ हैं क्या...
2934
कब आ रहे
हो,
मुलाकातके
लिये,
हमने
बादल रोका हैं...
तुम्हे भिगानेके लिये.......!
2935
तू नाराज न रहा
कर,
तुझे वास्ता
हैं खुदाका,
एक तेरा ही
चेहरा खुश देखकर तो,
हम
अपना गम भुलाते
हैं...
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