28 June 2018

2931 - 2935 प्यार बेशुमार खामोशी बेवफा याद कांटे मज़ाक मुलाकात नाराज वास्ता गम शायरी


2931
खामोशीसे बिखरना गया हैं,
हमें अब खुद उजड़ना गया हैं l

किसीको बेवफा कहते नहीं हम,
हमें भी अब बदलना गया हैं l

किसीकी यादमें रोते नहीं हम,
हमें चुपचाप जलना गया हैं l

गुलाबोंको तुम अपने पास ही रखो,
हमें कांटोंपें चलना गया हैं...!

2932
हमने भी कभी प्यार किया था,
थोड़ा नहीं बेशुमार किया था;
दिल टूटकर रह गया,
जब उसने कहा,
अरे मैने तो मज़ाक किया था...

2933
ज्यादा देर यूँ एक जगह नहीं रूकता हूँ मैं,
बंजारोंका कभी कोई ठिकाना हुआ हैं क्या;
दीवानोंकी बातें भला कोई समझे तो कैसे,
दीवानोंका कभी कोई दीवाना हुआ हैं क्या...

2934
कब रहे हो,
मुलाकातके लिये,
हमने बादल रोका हैं...
तुम्हे भिगानेके लिये.......!

2935
तू नाराज रहा कर,
तुझे वास्ता हैं खुदाका,
एक तेरा ही चेहरा खुश देखकर तो,
हम अपना गम भुलाते हैं...

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