7 June 2018

2846 - 2850 दिल वक्त बेवफाई यकीन फ़िक्र जिक्र खुशी बिखर ज़ुल्फ़ चेहरा याद शायरी


2846
तुमने भी उस वक्त,
बेवफाई की,
जब यकीन,
आखिरी मुकामपर था...

2847
फ़िक्र तो तेरी आज भी हैं,
बस.......
जिक्रका हक नहीं रहा...।

2848
वो कहते हैं हम जी लेंगे,
खुशीसे तुम्हारे बिना;
हमें डर हैं वो टूटकर,
बिखर जायेंगे हमारे बिना...।

2849
चूम लेती हैं लटककर,
कभी चेहरा... कभी लब...
तुमने ज़ुल्फ़ोंको बहुत,
सरपें चढा रखा हैं.......!!!

2850
जबभी तेरी याद आती हैं,
तब मैं अपने दिलपें हाथ रखता हूँ...
मुझे पता हैं,
तू हीं नहीं मिली तो...,
यहाँ ज़रूर मिलेगी.......!

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