30 June 2018

2946 - 2950 जिंदगी तकदीर बाजी खेल फरियाद अरमान मौसम वक्त फितरत अन्दाज़ शायरी


2946
आज भी हारी हुई बाजी,
खेलना पसंद हैं हमें...
क्योंकी हम तकदीरसे ज्यादा,
खुद पे भरोसा करते हैं.......!

2947
जिंदगी ऐसी ना जियो,
कि लोग 'फरियाद' करे;
बल्की ऐसी जियो...
कि लोग तुम्हे 'फिर-याद' करे...!

2948
सूखे पत्ते भीगने लगे हैं,
अरमानोंकी तरह;
मौसम फिर बदल गया,
इंसानोकी तरह.......

2949
वक्त, मौसम और लोगोंकी,
एक ही फितरत होती हैं;
कब, कौन और कहाँ बदल जाए,
कुछ कह नहीं सकते.......!

2950
ज़िंदा रहनेका कुछ ऐसा अन्दाज़ रखो,
जो तुमको ना समझे उन्हें नज़रंदाज रखो,
तुमने किया याद, कभी भूल कर हमें,
हमने तुम्हारी यादमें, सब कुछ भुला दिया...

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