2896
काश... तुम समझ
सकती,
मोहब्बतके
उसूलोंको,
किसीकी साँसोमें समाकर,
उसे
तन्हा नहीं करते...!!!
2897
अज़ीज़ इतना ही
रक्खो कि,
जी सँभल जाए,
अब इस क़दर
भी न चाहो,
कि दम
निकल जाए...
2898
इंतज़ार
करते करते,
वक़्त
क्यों गुजरता नहीं;
सब हैं यहाँ,
मगर कोई अपना
नहीं;
दूर नहीं पर,
फिर भी वो
पास नहीं;
है दिलमें
कहीं,
पर आँखोंसे दूर कहीं !
2899
दिलसे रोये
मगर होंठोसे
मुस्कुरा बेठे,
यूँ ही हम
किसीसे वफ़ा
निभा बेठे,
वो हमे एक
लम्हा न दे
पाए अपने प्यारका,
और हम उनके
लिये जिन्दगी लुटा
बेठे.......
2900
सुकूनकी एक
रात भी,
शायद नहीं मेरी जिन्दगीमें...
ख्वाहिशोंको सुलाओ तो,
तुम्हारी
यादे जाग जाती
हैं.......
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