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25 February 2018

2396 - 2400 जिंदगी दौर इत्मीनान ख़ुशी ग़मकी मुस्कुरा आदत धड़कन मुश्किल ख्याल आँख याद खजाना शायरी


2396
गुजर जाएगा ये दौर भी ज़रा,
इत्मीनान तो रख...
जब ख़ुशी ही ना ठहरी,
तो ग़मकी क्या औकात हैं...।

2397
रूठे-रूठे से रहते हो,
तरकीब बताओ मनानेकी।
हम जिंदगी गिरवी रख देंगे,
तुम कीमत बताओ मुस्कुरानेकी।

2398
पलकोंको अब,
झपकनेकी आदत नहीं रही;
जाने क्या हुआ हैं,
तुम्हें देखनेके बाद.......

2399
शोर न कर धड़कन जरा,
थम जा कुछ पलके लिए...
बड़ी मुश्किलसे मेरी आँखोंमें,
उसका ख्याल आया हैं.......

2400
किसीने पुछा मुझसे
क्या हैं तेरी जिन्दगीका खजाना,
मूझे याद आ गया उनका,
वो हलकेसे मुस्कुराना.......