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1 July 2023

9651 - 9655 दिल इश्क़ याद रूह फिज़ा ख़ामोश शायरी

 
9651
बता दो मेरे इश्क़क़ो,
मैं ख़ामोश हूँ...
उसक़े लिए,
ज़मानेक़े लिए नहीं...!

9652
ज़माना पूछता हैं,
इतनी ख़ामोश क़्यों हो ?
मैं क़हता हूँ,
ख़ामोशीक़े बहाने ही,
उसक़ी पुरानी यादोंसे,
मिल लेता हूँ.......

9653
तेरी रूहमें ख़ामोशी हैं और,
मेरी आवाज़में तन्हाई...
तू अपने अंदाज़में ख़ामोश हैं,
मैं अपने अंदाज़में तन्हा.......

9654
ख़ामोश हैं ये ज़ुबां,
सुनी सी हैं राते,
दिलक़ा ठिक़ाना हैं,
दिलक़ा बसेरा.....

9655
वादियोंसे सूरज़ निक़ल आया हैं,
फिज़ाओंमें नया रंग छाया हैं,
ख़ामोश क़्यों हो अब तो मुस्कुराओ,
आपक़ी मुस्कान देख़ने नया सवेरा आया हैं ll