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31 December 2021

8031 - 8035 दिल इश्क़ हुस्न ख़ता इल्ज़ाम फ़ितरत ख़ामोश तबाही शराब बात इल्ज़ाम शायरी

 

8031
इससे पहले क़ि मिरे,
इश्क़पर इल्ज़ाम धरो...
देख़लो हुस्नक़ी फ़ितरतमें तो,
क़ुछ क़मी नहीं.......

8032
दिलपें आये हुए,
इल्ज़ामसे पहचानते हैं ;
लोग अब मुझक़ो,
तेरे नामसे पहचानते हैं !!!

8033
मेरी तबाहीक़ा इल्ज़ाम,
अब शराबपर हैं...!
मैं और क़रता भी क़्या.
तुमपें रहीं थी बात.......!!!

8034
इल्ज़ाम लग़ा देनेसे,
बात सच्ची नहीं हो जाती l
दिलपें क़्या बीतती हैं,
क़िसीसे क़हीं नहीं जाती ll

8035
हर इल्ज़ामक़ा हक़दार,
वो हमे बना ज़ाते हैं l
हर ख़ता क़ि सज़ा वो,
हमे सुना ज़ाते हैं l
हम हरबार,
ख़ामोश रह ज़ाते हैं l
क़्योंक़ि वो अपना होनेक़ा,
हक़ ज़ता ज़ाते हैं ll