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26 February 2020

5521 - 5525 दिल दुश्मनी जिंदगी याद अल्फ़ाज़ दर्द शायरी


5521
हम उनसे तो लड़ लेंगे,
जो खुले आम दुश्मनी करते हैं...
लेकिन उनका क्या करे,
जो लोग मुस्कुराके दर्द देते हैं...

5522
सारी रात तुम्हारी यादोंमें,
खत लिखते रहे...
पर दर्दही इतना था की,
अश्क़ बहते रहे और अल्फ़ाज़ मिटते रहे...

5523
सोचता हूँ,
टूटा ही रहने दूँ इस दिलको...
शायरीमें कुछ,
दर्द तो लिखा जाता हैं.......!

5524
दर्दसे हमारी अगर,
दोस्ती होती...
शब्द होते मगर,
उनमें शायरी होती...!

5525
ऐसे भी दिन,
जिंदगीमें आते हैं...
जब दर्द बहुत होते हैं,
पर हमदर्द कोई नही होता...