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22 June 2018

2911 - 2915 दिल मुहब्बत इश्क़ रौशनी याद लब आँसु नफरत आँख लम्हे शायरी


2911
उनकी यादमें खुदको,
कुछ इस तरह जला देता हूँ;
आगसे लिखता हूँ नाम उनका,
और आँसुओंसे बुझा देता हूँ...!

2912
नफरतोंको जलाओ,
मुहब्बतकी रौशनी होगी
इंसान तो जब भी जले,
राख ही हुऐ हैं 

2913
काश तू मेरी...
आँखोंका आँसू बन जाए,  
मैं रोना ही छोड़ दूँ,
तुझे खोनेके डरसे !!!

2914
शायरी...
उसीके लबोंपर सजती हैं;
जिसकी आँखोंमें,
इश्क़ रोता हो...!

2915
गुजरे हुए लम्होंको,
मेनेका दिल करता हैं,
तेरे संग बिताए हर एक पलमें,
रंग भरनेका जी करता हैं...!