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13 July 2018

3006 - 3010 दिल मोहब्बत प्यार कदम मैखाने आवाज़ शराब दीदार ज़रूरत समंदर लहरे किनारा चाँद याद पागल चाहत उलझन मंज़िल आदत शायरी


3006
अभी कदम ही रखा था...
हमने मैखानेमें, की आवाज़ आयी,
चला जा वापस,
तुझे शराबकी नहीं...
किसीके दीदारकी ज़रूरत हैं...!

3007
समंदरके लिए वो लहरे क्या,
जिसका कोई किनारा ना हो,
तारोके लिए वो रात क्या जिसमे चाँद ना हो,
हमारे लिए वो दिन ही क्या,
जिसमें आप की याद ना हो.......!

3008
फिर कोई दुःख मिलेगा,
तैयार रह,  दिल !
कुछ लोग पेश रहे हैं...
बहुत प्यारसे.......!

3009
वो कभी गलतफहमीमें रहते हैं,
कभी उलझनमें रहते हैं;
इतनी जगह दी हैं उनको दिलमें,
वो वहाँ क्यों नहीं रहते हैं.......?

3010
किसीकी चाहतमें,
इतने पागल ना हो;
हो सकता हैं वो,
तुम्हारी मंज़िल ना हो;
उसकी मुस्कुराहटको,
मोहब्बत ना समझो;
कहीं ये मुस्कुराना,
उसकी आदत ना हो...!