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4 December 2018

3621 - 3625 प्यार क़दम किस्मत नाज़ुक लफ्ज़ खंजर दर्द नुमाईश दुनियाँ अक्स दिल शायरी


3621
प्यार तो दिलसे होना चाहिये,
किस्मतका क्या हैं...
वो तो कभी बदल सकती हैं...!

3622
दिलसे नाज़ुक नहीं,
दुनियाँमें कोई चीज साहब...
लफ्ज़का वार भी,
खंजरकी तरह लगता हैं...

3623
क़दम दर क़दम ये,
आज़माईश क्यूँ हैं...
आबाद दिलकी बस्ती फ़िर,
दर्दकी नुमाईश क्यूँ हैं...!!!

3624
एक गर्मसी आह,
बिखेर दी काँचसे दिलपर,
और उंगलियोसे तेरा,,,
अक्स बना दिया...!

3625
हँसने नहीं देता कभी,
रोने नहीं देता...
ये दिल तो कोई,
काम भी होने नहीं देता...